मैं शराब नहीं पीता,
पर तेरी निगाहें नीयत ख़राब करती हैं !
मैं ख्वाब नहीं देखता,
पर तेरी सूरत नींदे ख़राब करती हैं !!
मैं कोई राज़ नहीं रखता,
पर तेरा ख्याल दिल में दबा रखा हैं !
मैं कोई कामकाज नहीं करता,
पर तेरी आशिकी में खुद को लगा रखा हैं !!
मैं होश नहीं खोता,
पर तेरी चाहत दिन में रात दिखाती हैं !
मैं रोज़ रोज़ नहीं रोता,
पर तेरी याद आँसुओं की बरसात कराती हैं !!
मैं वादों पर नहीं मरता,
पर तेरी कसम हर कसम पे भारी हैं !
मैं सौदेबाजी नहीं करता,
पर तेरे लिए खुदा से जंग जारी हैं !!
मैं मुसाफिर नहीं बनता,
पर तेरी राहों में अपनी ज़िन्दगी बितानी हैं !
मैं काफ़िर नहीं बनता,
पर तेरी मोहब्बत ही बस खुदा की निशानी हैं !!
मैं शायरी नहीं करता,
पर तेरी तारीफ सबको सुनानी हैं !
मैं तस्वीरे नहीं बनाता,
पर तेरी शकल सबको दिखानी हैं !!
मैं झूठ नहीं कहता,
पर मुझे ये बात बतानी हैं !
ये कविता जरूर सुन लो,
पर ये कविता नहीं ये कहानी हैं !!
कहानी हैं ये,
पर इस कहानी में ना कोई रानी हैं !
राजा हूँ मैं,
और रानी की तलाश जारी हैं !!
5 responses to ““तलाश””
Khoobsurat kavita hai aapki..
Mein b kavita likhne ki koshish karta hun..
Mere blog par jaroor nazar daaliyega..:)
http://navanidhiren.blogspot.com/
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Kya baat hai thakur sahab
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Nice Poem….. I also write poems plz see my poems ..if u have time…
http://sandeepdubeyfaizabad.blogspot.in/
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Thanks Sandeep..sure’ll happy to go thru your blog 🙂
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Nice Write..I felt Calmness in your poem
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